चौधरी चरण सिंह की जीवनी – Chaudhary Charan Singh Biography In Hindi
Chaudhary Charan Singh Biography In Hindi: चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में हुआ था। उनके जन्मदिवस पर ‘किसान दिवस’ मनाया जाता है। उनके पिता का नाम मीर सिंह एवं माता का नाम नेत्र कौर था। वह उच्च स्तरीय राजनीतिज्ञ व किसान हितेषी नेता थे अपितु उन्होंने कभी खेती नहीं की, लेकिन सारी उम्र किसानों के हको की आवाज उठाई। चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक रहा।
चौधरी चरण सिंह की शिक्षा
उन्होंने जानी खुर्द गांव से अपनी स्कूल की पढ़ाई की। 1919 में दसवीं की पढ़ाई गवर्नमेंट हाई स्कूल से की।
1923 में स्नातक की पढ़ाई आगरा आगरा से तथा 1925 में मास्टर ऑफ आर्ट हिस्ट्री से पूरी की उनकी कानून में भी रुचि थी। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल होकर एक राजनीतिक बन गए और नमक सत्याग्रह से भारत छोड़ो आंदोलन तक गांधी के साथ संघर्ष करते रहे।
Chaudhary Charan Singh Biography In Hindi | |
नाम | चौधरी चरण सिंह |
पत्नी का नाम | गायत्री देवी |
जन्म | 23 दिसंबर 1902 |
मृत्यु | 29 मई 1987 |
प्रसिद्धि | किसान नेता के रूप में |
पार्टी | कांग्रेस और लोकदल |
भाषा | हिंदी अंग्रेजी और उर्दू |
जाति | जाट |
चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक जीवन
- सर्वप्रथम अपने राजनीतिक सफर की उड़ान उन्होंने सन 1937 में उत्तर प्रदेश के छपरौली विधानसभा चुनाव से भरी। इसके बाद वह सन 1946, 1952 और 1965 में भी विजय और अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। फिर वह 1967 में भी जीत कर अपने राजनीतिक सफर और अपने कद को बढ़ाया।
- 1946 में वह गोविंद पंत की सरकार में संसदीय सचिव के पद पर रहे। उन्होंने न्याय सूचना, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभागों में भी सेवाएं दी।
- 1951 में राज्य में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया।
- 1952 में वह कृषि मंत्री बने और किसानों को उपयुक्त भाव दिए। इसके साथ-साथ व राजस्व मंत्री भी थे।
- 1959 में जब राजस्व एवं परिवहन विभाग के प्रभारी थे तब उन्होंने इस्तीफा दे दिया। चौधरी चरण सिंह की छवि एक दमदार एवं कड़क नेता के रूप में थी।
- 1960 में सीबी गुप्ता के मंत्रालय में गृह एवं कृषि मंत्री भी रहे थे। उस समय यह भूमि होल्डिंग एक्ट लेकर आए
- 1962-63 में श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में कृषि एवं वन मंत्री के रूप के कार्य किया।
- 1965 में कृषि विभाग को छोड़ दिया था
- 1966 को स्थानीय स्वशासन का प्रभार ले
- जब कांग्रेस बंटवारे के दौर से गुजर रही थी तो 1970 में कांग्रेस पार्टी के ही सहयोग से सूबे के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि तभी अक्टूबर में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
- चौधरी चरण सिंह मजबूत नेता थे। यह प्रशासन में अक्षमता, भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ थे। यह बहुत ही लोकप्रिय व किसानों के चहेते नेता रहे हैं।
- 1974 में वह राष्ट्रीय राजनीति की तरफ अग्रसर हुए और विभिन्न दलों के साथ 29 अगस्त 1974 को लोकदल पार्टी का गठन किया। देश में तब इंदिरा गांधी की सरकार थी उस समय देश में आपातकाल लग गया और अन्य नेताओं की तरह चरण सिंह भी जेल गए।
- आपातकाल के बाद देश में जनता दल की सरकार बनी जिसमें चौधरी चरण सिंह का महत्वपूर्ण योगदान था। उस सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई तथा उप प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बने उनके पास गृह एवं वित्त मंत्रालय भी था। फिर आपसी मतभेदों के कारण 1 जुलाई 1978 को मंत्रिमंडल से उनकी छुट्टी हो गई ।
- सरकार से छुट्टी होने पर चौधरी साहब ने अपनी राजनीति रुतबा मजबूत किया और अपने जन्म दिवस 23 दिसंबर, 1978 को दिल्ली के बोट क्लब में शानदार रैली की जिसमें लाखों की संख्या में किसान पहुंच गए।
- यह इतनी धमाकेदार रैली थी कि 1 माह के अंदर उनकी सरकार में वापसी हुई और प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्रालय भी दिया गया। 28 जुलाई 1979 को पीएम पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत सिद्ध न होने के कारण वह लंबा नहीं टिक पाए, लेकिन प्रधानमंत्री की सूची में उनका नाम पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में आ गया।
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चौधरी चरण सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तकें
वह पढ़ने लिखने के बहुत शौकीन थे। उन्होंने भारत की गरीबी और उसका समाधान, किसानों की संपत्ति, जमीदारी उन्मूलन, शिष्टाचार आदि किताबे लिखी।
चौधरी चरण सिंह की मृत्यु
लोगों की सेवा करते करते 84 वर्ष के जीवन काल में 29 मई 1987 को किसान नेता अपना जीवन रूपी सफर समाप्त कर गए। उनको आज भी प्रधानमंत्री के बजाय किसान नेता के रूप में याद किया जाता है।