भविष्य की कार्ययोजना – Future Plans

जाट सेवा संघ का उद्देश्य समाज में युवाओं को मुख्य रूप से शिक्षा के वर्तमान स्वरुप से जोड़कर उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति को बेहतर बनाकर भविष्य के लिये तैयार करना है । इसके लिये प्राइमरी शिक्षा, सेकेंडरी शिक्षा, उच्च शिक्षा को रोज़गार के अवसरों के लिये विभिन्न स्तर पर अलग-2 तरह की योजना बनाकर रोज़गार की आवश्यकता के अनुरूप ही ढालना होगा जिसके लिये बड़े संसाधनों की आवश्यकता होगी। 

1 – प्राथमिक शिक्षा (Primary Education ) :- 

प्राइमरी शिक्षा का देश में सबसे बुरा हाल है । हम खासकर ग्रामीण व छोटे कस्बों में या तो सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर या उन छोटे मोटे पब्लिक स्कूलों पर जहाँ दिखावे के लिये इंग्लिश सिखाने की कोशिश की जाती है, निर्भर हो जाते हैं । प्राइमरी शिक्षा में माँ व पिता का रोल सबसे महत्वपूर्ण है । माँ व पिता बच्चों के शिक्षकों के साथ समय स्थापित कर बच्चों को सही दिशा दे सकते हैं, इसके लिये ग्रामीण स्तर पर ऐसे ग्रुप तैयार करने पड़ेंगे जिसमें वहां रहने वाले कुछ परिवार मिलकर शिक्षकों से तालमेल कर बच्चों को सही तरीके से प्राइमरी शिक्षा लेने में सहायता कर सकें।  इस कार्य में सबसे बड़ी अहम भूमिका माता पिता व शिक्षक की ही होगी । इसके लिये हमें गाँव में रहने वाले माता पिता को प्राइमरी शिक्षा का महत्त्व समझाना होगा । बच्चों को समय-2 पर किस तरह जागरूक किया जाये,इसके बारे में प्राइमरी शिक्षा के विशेषज्ञों द्वारा ग्रामीण शिक्षकों व माता पिता के साथ तालमेल बनाना होगा ।जिला स्तर पर जाट समाज के ऐसे लोगों को जोड़ा जायेगा जो प्राइमरी शिक्षा की बेहतरी को जानते हों व सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व प्रशासन से मिल शिक्षकों की सही संख्या सुनिश्चित करा सके ताकि प्रदेश स्तर पर बनायीं गई शिक्षा नीति की कार्य योजना सही दिशा में जा सके। 

2 – माध्यमिक शिक्षा (secondary Education ):- 

पूरे भारत में प्राथमिक व सेकेंडरी शिक्षा विभिन्न प्रदेशों की सरकारों द्वारा उनके बोर्ड,सी.बी.एस.ई. व आई.सी.एस.ई. द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संचालित है । सी.बी.एस.ई. व आई.सी.एस.ई. में तो प्राइमरी व सेकेंडरी शिक्षा एक ही स्कूल में दी जाती है ।लेकिन राजकीय बोर्ड की शिक्षा प्रणाली कक्षा 6 से 12 तक होती है । प्राइमरी स्कूल राज्य सरकार द्वारा संचालित होते हैं । कक्षा 6 से १२ तक स्कूल प्राइवेट व प्रबंध तंत्र राजकीय स्कूल होते हैं । प्राथमिक शिक्षा के बाद सेकेंडरी शिक्षा की व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है जो सरकार की तरफ से तो जल्द संभव नहीं । यहीं से छात्र को Motivation के माध्यम से उसकी क्षमता व योग्यता को ध्यान में रखते हुए तथा किस दिशा में उसका रुझान है,यहीं से शारीरिक विकास की वह संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं जिससे उसे खेल में निपुणता हासिल हो सके ।यहीं से उसका रुझान किन विषयों में है उससे सम्बंधित कार्यक्षेत्र कि विस्तृत जानकारी दी जायेगी जिससे वह हौसले के साथ उस क्षेत्र की ऊँचाइयों को छूने के सपने देखे और उस पर कार्य कर सके।  वर्तमान में शिक्षा का स्वरुप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी के साथ बदल रहा है । सक्षम छात्र दुनिया के हर क्षेत्र में पढने के लिये जा रहे हैं । ऐसी स्थिति में हमें अपने लोगों को बदलती शिक्षा व्यवस्था व ऐसे कोर्सेस से अवगत कराना होगा जिनका भविष्य में व्यापक क्षेत्र बनने जा रहा है,उनको ऐसे संस्थानों से भी अवगत कराना होगा जहाँ पर उनके दाखिले के बाद उनकी तरक्की की राह आसान हो सके । यह तब ही संभव है जब हम सब पढ़े लिखे ,व्यापारी व सभी प्रोफेशनल्स जो देश व देश के बाहर रहते हैं । इस संगठन के माध्यम से अपने अनुभव व ज्ञान से अपने गाँव व छोटे कस्बों में रहने वाले बच्चों को motivation व educational डायरेक्शन के द्वारा उनको सही दिशा दे सकें। 

3 – उच्च शिक्षा (Higher Education ) :- 

उच्च शिक्षा में आजकल भरी बदलाव आ रहा है । उच्च शिक्षा में विभिन्न Specilized courses दिन प्रतिदिन आते रहते हैं ।जिस तेजी के साथ विज्ञानं की प्रगति हो रही है उसी तेजी के साथ नये पढाई के क्षेत्र भी विकसित हो रहे हैं । अब आवश्यकता है secondary education में दसवीं कक्षा में पहुँचते-2 छात्रों को उच्च शिक्षा कि सही दिशा का चुनाव करना ज़रूरी है । अब 12 वीं के बाद हजारों की संख्या में विभिन्न क्षेत्रों में कोर्सेस उपलब्ध हैं जिनका हमारे ग्रामीण छात्रों को पता नहीं होता । आज चाहे Engineering ,Medical ,Humanities,Management ,Accountancy /Finance ,Hotel Industry ,Agriculture ,Sports and Other Service Sectors आदि में courses की संख्या सैकड़ों में है । इन सब का हमारे छात्रों को ज्ञान नहीं होता जिस कारण वह उस दिशा में अपनी सोच व क्षमता का विकास ही नहीं कर पाता । अगर सही समय पर उसे सही दिशा व उसके लिये सही coaching आदि की व्यवस्था हो जाये तो वह अपनी क्षमता का विकास कर सकता है और सही व सम्मानजनक क्षेत्रों में प्रवेश कर सकता है।